नमस्कार दोस्तों, दोस्तों आज मैं आपके लिए एक छोटी मगर रोचक जानकारी लेकर आया हूँ. क्या आप जानते है कि वर वधु विवाह में एक दुसरे को जयमाला क्यूँ पहनाते है ? यदि हाँ तो ठीक है अगर नहीं तो मैं आज आपको kyahai.in के इस लेख में आपको बताऊंगा कि दूल्हा दुल्हन विवाह में एक दुसरे को जयमाला क्यूँ पहनाते है ?
वर वधु विवाह में एक दुसरे को जयमाला क्यूँ पहनाते है ?
जयमाल अथवा वरमाला हिन्दुओं में होने वाली विवाह व्यवस्था की एक मजेदार रस्म है. इसमें दूल्हा और दुल्हन एक दुसरे के गले में फूलों का हार पहनाते है. जयमाला ताजे व पवित्र फूलों की एक माला होती है. जयमाल समारोह का उल्लेख प्राचीन पौराणिक साहित्यों में भी मिलता है. प्राचीन काल मे इस परंपरा का जो महत्व था वही महत्व आज भी है.
जयमाल रस्म से तात्पर्य यह है की वर-वधु एक दुसरे को स्वीकार करते है और विवाह की अनुमति प्रदान करते है.
प्रेम विवाह जिसे प्राचीन समय में गन्धर्व विवाह भी कहा जाता था, में भी जयमाल के बाद ही विवाह को पूर्ण मान लिया जाता था. पौराणिक साहित्यों में भी देवी देवता एक दुसरे को जयमाल पहना कर विवाह सपन्न करते थे. प्राचीन काल में आयोजित होने वाले स्वयंवर प्रथा में भी जयमाला का उपयोग होता था. जिसमे वधुअपने मनपसंद युवक के गले में जयमाला डाल कर उसे अपना वर चुनती थी. हिन्दू संस्कृति के प्राचीन ग्रंथों में से एक ग्रन्थ रामायण में सीता और राम के विवाह का एक प्रसंग आया है जिसमे जयमाल समारोह का आयोजन हुआ था. इसके अलावा महाभारत में भी जयमाला प्रथा का उल्लेख है जिसमे द्रोपदी ने अर्जुन को जयमाला डाल कर ही अपना पति चुना था. जयमाल परंपरा को लेकर एक और पौराणिक प्रसंग आता है शिव पुराण में जहाँ शिव पार्वती के विवाह का उल्लेख है जिसमे माता पार्वती ने भगवान् शिव को जयमाल पहनाया था. इसी देव विवाह के उत्सव को हिन्दू जनमानस शिवरात्रि के रूप में मानते है.
हिन्दुओं में आज भी यह रस्म चली आ रही है. बारात के आने पर बारातियों के स्वागत के पश्चात विवाह का पहला समारोह जयमाल ही होता है. आम तौर पर विवाह के बाद दूल्हा और दुल्हन की जयमाला को सुरक्षित रख लिया जाता है. बाजार में भी कई तरह की जयमाला मिलती है. इनमे ताजे फूलों से लेकर आर्टिफिशियल फूलों तक की जयमाला मिलती है. लेकिन अधिकतर विवाहों में ताजे फूलों की जयमाला का ही उपयोग होता है. यह इको-फ्रेंडली भी होती है.
हमारे देश में क्षेत्र के हिसाब से भी जयमालाओं में आकार एवम सुज्जा का अन्तर पाया जाता है. जैसे दक्षिण भारत में जयमाला का आकर बड़ा एवं भारी होती है. जबकि उत्तर भारत में जयमाला का लाल गुलाब के फूलों की होती है. लाल गुलाब के फूल जरुरी नहीं है यह केवल एक रिवाज के तौर पर चला आ रहा है. आप अपनी पसंद से कैसी भी फूलों की जयमाला बनवा सकते है. मौसम के हिसाब से भी आप फूलों का चयन कर सकते है. अलग-अलग फूल अलग-अलग भावनाओं को प्रकट करते है. गुलाबी रंग के गुलाब सच्ची ख़ुशी को, लाल रंग के गुलाब प्यार को, गेंदा समृद्धि को, जबकि मोगरा धार्मिकता की भावना को प्रदर्शित करता है.
आशा करता हूँ वर वधु विवाह में एक दुसरे को जयमाला क्यूँ पहनाते है ? की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी.