क्या है समान नागरिक संहिता या कॉमन सिविल कोड (common civil code) या यूनिफार्म सिविल कोड ( uniform civil code ) |
समान नागरिकता कानून का अर्थ भारत के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून होना है। समान नागरिक संहिता एक सेक्युलर (पंथनिरपेक्ष) कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है। समान नागरिक कानून, कानूनों के वैसे समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है। यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है। ऐसे कानून विश्व के अधिकतर आधुनिक देशों में लागू हैं।
संविधान के आर्टिकल 44 में क्या है-
संविधान के आर्टिकल 44 में इसका जिक्र करते हुए लिखा है कि- सरकार इस बात की कोशिश करेगी कि एक दिन देश भर में यूनिफार्म सिविल कोड लागू हो। यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने का मतलब ये है कि शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के तहत करते हैं।
मुस्लिमो के लिए इस देश में अलग कानून चलता है जिसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कहते है यह गैर सरकारी संगठन है। साल 2005 में, भारतीय शिया ने सबसे महत्वपूर्ण मुस्लिम संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ से नाता तोड़ दिया और उन्होंने ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के रूप में स्वतंत्र लॉ बोर्ड का गठन किया।
मुसलमान महिला को तलाक देने का अधिकार नहीं है, जबकि मुसलमान पुरुष न सिर्फ तीन बार तलाक कह कर तलाक ले सकता है बल्कि एक साथ चार पत्नियां भी रख सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिमो के इस तरह के ही कुरानी या शरियत कानून को संचालित करता है या उनकी रक्षा करता है।
यूनीफॉर्म सिविल कोड पहली बार सुर्खियों में कब आया?
- देश में यह मामला पहली बार सन 1840 में उठा था।
- 1985 में शाह बानो केस के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड एक बार फिर सुर्खियों में आया।
- सुप्रीम कोर्ट ने बानो के पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने का ऑर्डर दिया था।
- इसी मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पर्सनल लॉ में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए।
- राजीव गांधी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संसद में एक विवादास्पद कानून पेश किया था।
BJP ने की यूनीफॉर्म सिविल कोड की वकालत
सरकार द्वारा विधि आयोग को समान नागरिक संहिता का अध्ययन के लिए कहे जाने के बीच भाजपा ने आज इसकी वकालत की और कहा कि संविधान में जिक्र होने के बाद भी वोट बैंक राजनीति के कारण इसका विरोध किया जाता रहा है।
पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा, इस पर खुली बहस होनी चाहिए। संविधान इसकी वकालत करता है और जो इसका विरोध करते हैं वे सिर्फ संविधान के प्रति अपनी असहिष्णुता दर्शाते हैं। हमने हमेशा इसकी वकालत की है। समान नागरिक संहिता होनी चाहिए। इसका विरोध वोट बैंक राजनीति के कारण किया जाता रहा है।