राज्यसभा मे लंबे इंतजार के बाद जीएसटी के लिए जरुरी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के पहले चर्चा शुरु हुई. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत की.
अरुण जेटली ने भरोसा दिलाया कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की दर ना तो आम लोगों पर बोझ बढ़ाएगी और ना ही राज्यों को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इस कानून से कर की चोरी रुकेगी और पूरी अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. जीएसटी अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार है.
जीएसटी पर बात करने में दोहरी खुशी हो रही है: पी चिदंबरम
पी. चिदंबरम ने जीएसटी बिल संशोधन पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विपक्ष में खड़े होकर जीएसटी पर बात करने में दोहरी खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि जीएसटी पर केंद्र सरकार का लहजा बदला है जो इस बिल के पास होने के लिए अच्छा संकेत है.
चिंदबरम ने कहा कि बिल में अब भी कई खामियां हैं. उन्होंने कहा कि कंसोलिडेटेड फंड पर केंद्र सरकार ने सफाई नहीं दी है. हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाने की अनुमति बिल से वापस ले ली है. जिसका मैं स्वागत करता हूं.
चिंदबरम ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इससे संबंधित कानून में कर की मानक दर 18 प्रतिशत से अधिक न रखे जाने की अपनी मांग पर कायम रहेगी. साथ ही पार्टी ने कहा कि जीएसटी संबंधित कानून में विवाद निस्तारण तंत्र का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए.
विपक्ष के साथ सहमति बनाने के लिए मोदी सरकार ने किए चार अहम बदलाव
- पहला, राज्यों के बीच कारोबार पर 1 फीसदी अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा. मूल विधेयक में राज्यों के बीच व्यापार पर 3 साल तक 1 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगना था.
- दूसरा, जीएसटी से नुकसान होने पर अब 5 साल तक 100% मुआवजा मिलेगा. मूल विधेयक में 3 साल तक 100%, चौथे साल में 75% और 5वें साल में 50% मुआवजे का प्रस्ताव था.
- तीसरा, विवाद सुलझाने के लिए नयी व्यवस्था की गई है, जिसमें राज्यों की आवाज बुलंद होगी. पहले विवाद सुलझाने की व्यवस्था मतदान आधारित थी, जिसमें दो-तिहाई वोट राज्यों के और एक तिहाई केंद्र के पास थे.
- विधेयक में जीएसटी के मूल सिद्धांत को परिभाषित करने वाला एक नया प्रावधान जोड़ा जाएगा, जिसमें राज्यों और आम लोगों को नुकसान नहीं होने का भरोसा दिलाया जाएगा.
राज्यसभा से पास हो जाता है तो फिर क्या होगा ?
- संविधान संशोधन विधेयक पर संसद के दोनों सदनों की मुहर लगने के बाद कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी चाहिए होगी.
- इसके बाद राष्ट्रपति हस्ताक्षर करेंगे, जिससे ये कानून बनेगा.
- इसके बाद केंद्र सरकार को सेंट्रल जीएसटी और राज्य सरकारों को स्टेट जीएसटी से जुड़े कानून बनाने होंगे.
- केंद्र सरकार को इंटिग्रेटेड जीएसटी के लिए अलग से कानून बनाना होगा.
- माना जा रहा है कि ये प्रक्रिया नवंबर तक पूरी होगी और दोबारा विचार के लिए विंटर सेशन में लाया जा सकता है.
ये सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जीएसटी के नियम बनाए जाएंगे, जिन पर काम पहले से चल रहा है. केंद्र सरकार की योजना अगले साल पहली अप्रैल से जीएसटी लागू करने की है.
जीएसटी बिल अब तक क्यों अटका रहा?
16 साल पहले वाजपेयी सरकार ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन बहुमत नहीं होने और विपक्ष के विरोध के कारण ये टलता रहा. 2009 में यूपीए सरकार बनने पर उसने भी इसे पारित कराने की कोशिश की, लेकिन बीजेपी के विरोध और ज्यादातर राज्यों में गैर-कांग्रेसी सरकारें होने के कारण उसे भी कामयाबी नहीं मिली.
अब जीएसटी बिल पास होने की उम्मीद क्यों है?
अब केंद्र और ज्यादातर राज्यों में एनडीए की सरकारें हैं. साथ ही मोदी सरकार विपक्ष की मांग पर मूल बिल में चार अहम बदलाव करने को भी तैयार हो गयी है. यही वजह है कि अब जीएसटी बिल के पारित होने की उम्मीद की जा रही है.
जीएसटी बिल लागू होने से क्या फायदा होगा?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा. इसके लागू होने पर एक्साइज, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, वैट, सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स और ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स जैसे कई टैक्स खत्म हो जाएंगे. पूरे देश में एक समान टैक्स लागू होने से कीमतों का अंतर घटेगा.
यहां ये बताना भी जरूरी है कि जीएसटी लागू होने के बाद भी पेट्रोल, डीज़ल, शराब और तंबाकू पर लगने वाले टैक्स में कोई बदलाव नहीं होगा. सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू होने से पूरे देश में कारोबार करना आसान होगा, जिससे जीडीपी में कम से कम 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.
जीएसटी लागू होने के बाद क्या सस्ता क्या महंगा
GST के लागू होने से देश भर में टैक्स की दरें बदलेंगी जिसका असर सामानों कीमतों पर भी पड़ेगा. GST बिल में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की दर 18 फीसदी रखे जाने की चर्चा है.
GST ke liye online registration kaise kare
- डिब्बाबंद फूड प्रोडक्ट 12% तक महंगे हो सकते हैं.
- कपड़े, रत्न-आभूषण महंगे हो सकते हैं. इन पर कम से कम 12 फीसदी टैक्स लगने के आसार हैं, जिससे इनके दाम बढ़ सकते हैं.
- मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल महंगे होने के आसार हैं. इसके अलावा डिस्काउंट वाले प्रोडक्ट महंगे पड़ेंगे क्योंकि जीएसटी में टैक्स एमआरपी पर लगेगा.
- छोटी कारें और मिनी एसयूवी सस्ती हो सकती हैं.
- घरेलू सामान एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन सस्ते हो सकते हैं –
- रेस्तरां का बिल कम होगा क्योंकि जीएसटी के तहत सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा.
- जीएसटी से एंटरटेनमेंट टैक्स कम होगा. इससे सिनेमा के टिकट सस्ते होने की उम्मीद की जा सकती है.
- उद्योगों को जीएसटी लागू होन पर 18 तरह के टैक्स नहीं भरने पड़ेंगे. टैक्स भरने की प्रक्रिया भी आसान होगी.
जानकारों की राय में जीएसटी लागू होने के बाद पहले 3 साल तक महंगाई बढ़ने के आसार रहते हैं, लेकिन उसके बाद इसमें राहत मिलने की उम्मीद की जाती है.