Basant Panchami hindi nibandh: भारत में बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत एवं कला की देवी माँ सरस्वती के पूजन के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व ऋतू परिवर्तन के उत्सव पर्व के रूप में भी मनाया जाता है.
जहाँ यह पूर्व पुरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है वही भारत के पूरी राज्यों में यह पूर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है. बिहार बंगाल जैसे पूरी राज्यों में यह पर्व एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
Basant Panchami hindi nibandh : बसंत पंचमी पर्व पर निबंध
बसंत पंचमी का पर्व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के पांचवे दिन मनाया जाता है. हमारे देश में इस माह के दौरान मौसम बहुत ही संतुलित रहता है इस काल के दौरान ना तो बहुत अधिक सर्दी रहती है और ना ही गर्मी. इसलिए बसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है.
बसंत पंचमी का पर्व विद्यालयों में भी बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है. विद्यालओं में सरस्वती पूजन के साथ इस पर्व का आरंभ किया जाता है और विभिन्न प्रकार के संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमे बच्चे बड़े ही उत्साह से भाग लेते है.
माता सरस्वती को ज्ञान, संगीतव और विद्या की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन उनसे विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है। इस पर्व पर पीले रंग के वस्त्रों का बहुत ही ज्यादा महत्त्व होता है क्यूंकि पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है.
हमरा देश विविधिता से भरा हुआ है प्रत्येक राज्य में त्यौहार मानाने का अपना रीति रिवाज है जहाँ कई प्रदेशों में आज के दिन लोग पतंग उड़ाते है और सुहागिन महिलाएं पीले रंग की चूड़ियों का दान करती है वहीँ कई राज्यों में बड़े बड़े पंडाल लगाकर इस त्यौहार को मनाया जाता है और पीले मीठे चावलों के प्रसाद का वितरण किया जाता है.
भारत के अलावा बसंत पंचमी का पर्व नेपाल और इंडोनेशिया में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. नेपाल में जहाँ इस पर्व को “बसंत पंचमी” के ही नाम से मनाते है वही इंडोनेशिया में इस पर्व को “हरि राया सरस्वती” के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है “सरस्वती का बड़ा दिन“. इसके अलावा बसंत पंचमी का पर्व उन सभी देशों में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है जहाँ हिन्दू और सिक्ख समुदाय रहता है.
Basant Panchami in 2023 :
बसंत पंचमी पर्व माघ महीने की पांचवी तिथि को मनाया जाता है जबकि English calendar के अनुसार Basant Panchami 2023 में 26 जनवरी 2023, गुरुवार को पड़ रही है.
बसंत पंचमी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त :
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 6.40 बजे से दोपहर 12.12 बजे तक
पंचमी तिथि प्रारंभ: मघ शुक्ल पंचमी शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12.25 बजे से शुरू
पंचमी तिथि समाप्त: रविवार 26 जनवरी को दोपहर 2.08 बजे तक
बसंत पंचमी क्यूँ मनाते है : पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार सृष्टी की रचना करते समय समय ब्रम्हा जी ने जब मनुष्य एवं अन्य जीव जंतुओं को बनाया तो उन्हें लगा कहीं ना कहीं कोई कमी रह गयी है जिसके कारण चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था. इसी सन्नाटे को समाप्त करने के लिए उन्होंने एक मानस पुत्री को उत्पन्न किया जिन्हें हम माँ सरस्वती के नाम से जानते है. जन्म के समय माता सरस्वती के एक हाथ में वीणा, दुसरे हाथ में पुस्तक, तीसरा हाथ वर मुद्रा में तथा चौथे हाथ में माला थी. तब ब्रम्हा जी के कहने पर माँ सरस्वती ने वीणा का वादन किया जिससे स्वर उत्पन्न हुआ और श्रृष्टि में व्याप्त सन्नाटा समाप्त हुआ और जीव-जन्तुओ और मनुष्यों को स्वर की प्राप्ति हुई. माँ सरस्वती के इस दिन जन्म लेने के कारण ही बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है.
बसंत पंचमी का एतिहासिक महत्त्व :
वसंत पंचमी गुरू रामसिंह कूका जी के जन्म दिवस के भी तौर मनाया जाता है. गुरू रामसिंह कूका जी का जन्म 1816 ई. में वसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था। पहले तो आपने रणजीत सिंह की सेना में एक एनिक के तौर पर कार्य किया लेकिन आध्यात्मिक प्रवत्ति होने के सेना छोड़ कर कर अध्यात्मिक प्रवचन करने आरंभ कर दिए और कूका पंथ की स्थापना की।
गुरू रामसिंह कुक के अध्यात्मिक प्रवचनों का प्रमुख केंद्र गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उद्धार, अंतरजातीय विवाह, सामूहिक विवाह आदि पर था। गुरु रामसिंह जी बी अंग्रेजी शाशन का विरोध कर अपनी खुद की प्रशाशन व्यवस्था लागू की. भैणी गांव में मकर संक्रांति पर हर वर्ष मेला लगता था। 1872 में मेले में आते समय उनके एक शिष्य को मुसलमानों ने पकड लिया उसे पीटा और गोवध कर उसके मुंह में गोमांस ठूंस दिया। यह बात सुनकर गुरू रामसिंह के शिष्यों में आक्रोश भड़क गया। उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया लेकिन अंग्रेज सेना मुस्लिमो के पक्ष में आ गयी। अत: युद्ध का पासा पलट गया।
इस लडाई में अनेक कूका वीर शहीद हुए और कईयों को पकड़ लिया गया। इनमें से 50 शिष्यों को सत्रह जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप से उड़ा दिया गया। बाकि शिष्यों को अगले दिन फांसी दी गयी। दो दिन बाद गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहकर 1885 ई. में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
सरस्वती वंदना :
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा माँ पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥2॥
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आशा करता हूँ Basant Panchami hindi nibandh बच्चों के लिए बहुत ही ज्ञानपरक रहा होगा और Basant Panchami hindi पर्व के पौराणिक और एतिहासिक महत्व ने आप सभी लोगों का ज्ञान वर्धन किया होगा. आप इस जानकारी को अपने बच्चों और दोस्तों के साथ शेयर कर उनका भी ज्ञान वर्धन कर सकते है.