प्राचीन काल में जब विज्ञान का विस्तार नहीं था तब पूरी दुनिया में चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण को लेकर बहुत सी भ्रांतियां व्याप्त थी। लेकिन विज्ञान के विकसित होने के साथ मानव ने ऐसी बहुत सी भ्रांतियों की सच्चाई का पता लगा ही लिया। आज हम इस लेख में माध्यम से जानेंगे चन्द्र ग्रहण (LUNAR ECLIPSE) क्या है और चन्द्र ग्रहण कब होता है।
जब पूरी दुनिया में सूर्य और LUNAR ECLIPSE को लेकर भ्रामक और मिथ्या कहानियों के माध्यम से अपनी कल्पनाओं में व्यस्त था, तब हमारे देश के खगोल शाश्त्रियों ने आज से हजारों वर्ष पूर्व ही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के रहस्य को जान लिया था। जिसे आज पूरी दुनिया मानती है और विज्ञान इसे प्रमाणित भी करता है।
चन्द्र ग्रहण कब होता है, कैसे होता है चित्र सहित, भारतीय खगोलशास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण कैसे लगता है, पौराणिक मान्यताओं के आधार पर चंद्र ग्रहण, LUNAR ECLIPSE की पूरी जानकारी
चन्द्र ग्रहण (LUNAR ECLIPSE) कब होता है?
क्या आप जानते है कि चंद्रमा की अपनी खुद की कोई रौशनी नहीं होती है। हम जो चंद्रमा को चमकते हुए देखते है दरअसल वह सूर्य का प्रकाश होता है जो चंद्रमा पर पड़ता है। और यही प्रकाश जब पृथ्वी द्वारा चंद्रमा पर पड़ने से रोक लिया जाता है तब चंद्रमा पूरी तरह से अँधेरे में डूब जाता है जिसे हम चन्द्र ग्रहण कहते है।
दुसरे शब्दों में चन्द्र ग्रहण कैसे होता है यह भी जान लेते है। आमतौर पर चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा को होता है यह तब होता है जब हमारी पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाती है और चन्द्रमा पृथ्वी के चारो परिक्रमा करता है। इसी परिक्रमा के दौरान एक ऐसा समय आता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और चंद्रमा पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश पृथ्वी द्वारा रोक लिया जाता है। इसे ही चन्द्र ग्रहण कहते है। इस स्थिति में सूर्य प्रति और चन्द्रमा एक ही सीध में आ जाते है।
चंद्र ग्रहण कैसे लगता है भारतीय खगोलशास्त्र के अनुसार:
आज विज्ञान ने बहुत ज्यादा विकास कर लिया है। जिसकी वजह से ब्रम्हाण्ड के ऐसे बहुत रहस्य से पर्दा उठ चूका है, जो प्राचीन मानव के लिए एक अबूझ पहेली जैसा था। लेकिन ऐसा भी नहीं है विज्ञान के विकास से पहले सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण को लेकर सिर्फ और सिर्फ कपोल कल्पनाएँ ही व्याप्त थी। भारत के खगोलविदों से इस रहस्य से पर्दा उठा बहुत पहले ही उठा दिया था। भारतीय खगोलशास्त्र ने हमारे इस सौर मंडल को बहुत ही अच्छे से जान लिया था। भारतीय खगोलशास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण कैसे लगता है लिखकर बताया गया है।
जहाँ पूरा विश्व सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण को लेकर अपनी अपनी कल्पनाओं और कथा कहानियों में ही विश्वास करता था वही भारत में सिद्धान्तशिरोमणि, सूर्यसिद्धान्तादि और ग्रहलाधव जैसे भारतीय खगोलशास्त्र के प्रसिद्द ग्रंथों में इसका वैज्ञानिक वर्णन किया जा चूका था।
ग्रहलाधव के चौथे अध्याय के चौथे श्लोक में एक मंत्र है “छादयत्यर्कमिन्दुर्विधं भूमिभाः” जिसमे चन्द्र ग्रहण का वर्णन है जिसके अनुसार जब सूर्य भूमि के मध्य में चद्रमा आता है तब सूर्य ग्रहण और जब सूर्य और चन्द्र के बीच में भूमि आती है तय चन्द्र ग्रहण होता है. अर्थात् चन्द्रमा की छाया भूमि पर (सूर्य ग्रहण) और भूमि की छाया चन्द्रमा (चन्द्र ग्रहण) पर पड़ती है। सूर्य प्रकाशरूप होने से उसके सन्मुख छाया किसी की नहीं पड़ती किन्तु जैसे प्रकाशमान सूर्य व दीप से देहादि की छाया उल्टी जाती है वैसे ही ग्रहण में समझो।
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर चन्द्र ग्रहण कैसे होता है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चन्द्र ग्रहण कैसे होता है इसका विवरण विष्णु पुराण की एक कथा में है। आदिकाल में देव और असुरों मे बहुत लंबे समय तक युद्ध चला। तब भगवान् विष्णु ने इस युद्ध को रोकने के लिए समुद्रमंथन का विचार प्रस्तुत किया और यह समझौता कराया कि समुद्र मंथन से जो भी निकलेगा उसे देवता और असुर आधा आधा बाट लेंगे।
समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से 14 रत्न उत्पन्न हुवे और इन में से ही एक रत्न अमृत निकला। अमृत के लिए असुरों और देवताओं में एक बार फिर से लड़ाई हुई जिसके बाद देवता भगवान् विष्णु के पास इस समस्या का समाधान के लिए गए।
कहानी के अनुसार भगवान् विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को मोहित कर लिया और चतुराई के साथ देवताओं को अमृत और असुरों को साधारण जल पिलाने लगे। लेकिन एक असुर जिसका नाम राहू था उसे इस बात का पता चल गया और उसने देवताओं का रूप धारण कर अमृत को पी गया।
रहू की इस चतुराई को सूर्य देव और चन्द्र देव ने पहचान लिया और उन्होंने विष्णु भगवान को यह बात बताई जिस पर उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से राहु के सिर को धड़ से अलग कर दिया। तब तक राहु के गले तक अमृत की कुछ बूंदें जा चुकी थीं इसलिये सिर धड़ से अलग होने के बाद भी वह जीवित रहा, उसके सिर को राहु और धड़ को केतु कहा जाता है, इसी कारण राहु सूर्य-चंद्र को ग्रहण लगाता है।
चंद्र ग्रहण कब लगेगा?
आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि हम बड़े ही आसानी से चंद्र ग्रहण कब लगेगा इसकी जानकारी कर सकते है। लेकिन यदि आपको नहीं पता है तो आपको बता देना चाहूँगा भारतीय ज्योतिष की गणना के अनुसार हम आज से हजारों वर्षों बाद होने वाले चन्द्र ग्रहण को बिना किसी आधुनिक तकनीक या टेलिस्कोप के ही पता कर सकते है।
भारतीय पंचांग में हर वर्ष पड़ने वाले ग्रहण का विवरण होता है जो बिलकुल सटीक बैठता है। यह भारतीय पंचांग सौर कैलेंडर पर आधारित होते है जो सूर्य के विभिन्न राशियों में प्रवेश के समय पर ही आधारित हैं। भारतीय ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण कब लगेगा इसकी सटीक जानकारी ग्रहों की चाल पर आधारित है।
तंत्र साधना में चन्द्र ग्रहण का महत्त्व:
तंत्र साधना में चन्द्र ग्रहण का महत्व उतना ही जय है जितना कि सूर्य ग्रहण का। साधकों के बीच मान्यता है कि ग्रहण के दौरान मन्त्र सिद्धि बहुत ही सरलता से हो जाती है और सिद्ध किये हुए मंत्र का प्रभाव भी बढ़ जाता है। ऐसे में यदि अप कोई मन्त्र सिद्ध करना चाहते है तो यह चन्द्र ग्रहण आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है।
चंद्र ग्रहण में ज्योतिषीय उपाय :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी की जन्म कुंडली में ग्रहण दोष है तो चन्द्र ग्रहण के दौरान सफ़ेद वस्तुओं का दान करने चन्द्र दोष कम हो जाता है। इस दिन आप दूध, घी, मक्खन, दही, सफ़ेद वस्त्र मिठाई इत्यादि का दान कर सकते है।
हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार जिन व्यक्तियों के हाथ में चन्द्र पर्वत दबा हुआ होता है वैसे व्यक्ति मानसिक रूप से थोड़े कमजोर होते है। इस तरह के व्याक्ति नकारात्मक विचारों से घिरे रहते है। ऐसे में चन्द्र ग्रहण के दौरान ऐसे व्यक्तियों को मानसिक शांति के उपाय करने चाहिए।
राशियों पर चन्द्र ग्रहण का प्रभाव:
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा होता है, ऐसे नाम की राशि वाले व्यक्तियों को शिवलिंग पर दूध या जल का अर्पण करना चाहिए और और ग्रहण के दौरान सफ़ेद वस्तु इत्यादि का दान करना चाहिए जिससे उनका स्वामी बलवती हो सके।
ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
- ज्योतिष के अनुसार किसी भी ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना दोनों ही वर्जित होता है।
- ग्रहण के समय किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए।
- ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए और घर से बाहर ना निकले।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के दौरान करें ये काम
- ज्योतिष शास्त्र के आनुसार सूतक लगते ने से पहले खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें।
- ग्रहण पूर्ण हो जाने के पश्चात स्नान जरुर करे।
- जब ग्रहण समाप्त हो जाए तो जरूरतमंदों को खाने पीने की वस्तुएं दान करें।
- ग्रहण के दौरान आप किसी भी सात्विक मन्त्र की सिद्धि कर सकते है।
विशेष:
यहाँ चन्द्र ग्रहण के सम्बन्ध में वैज्ञानिक द्रष्टिकोण के साथ भारतीय खगोल शाश्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रहण कब होता है और चन्द्र ग्रहण कैसे होता है चित्र सहित समझाया गया है। इसके अलावा पौराणिक मान्यता के अनुसार चन्द्र ग्रहण की जानकारी भी दी गयी है। आपको चंद्र ग्रहण के सम्बन्ध में दी गयी जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट में जरुर बताये।