दीपावली प्रकाश का त्यौहार होता है इसलिए इसे प्रकाश पर्व व दीवाली भी कहते है. दीपावली माँ लक्ष्मी की पूजा का दिन होता है, इस दिन लोग संपन्न जीवन जीने की कामना से पूजा करते हैं. दीपावली पूजन विधि के बहुत से तरीके प्रसिद्द है अलग अलग प्रान्त में अलग अलग तरीके मौजूद हैं माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए.
दीपावली भारत देश का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण त्यौहार है हर भारतीय को इस त्यौहार का इंतजार पूरे साल होता है. बच्चे तो खास तौर पर इस त्यौहार का इन्तेजार करते हैं क्योंकि उनको पटाखे चलाने को मिलते हैं. ऐसी भी मान्यता है की दीपावली की रात्रि को माँ लक्ष्मी भक्तो के घर आकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इस वर्ष Diwali 2022 में Saturday, October 22 को पड़ रही है.
दीपावली पर्व का महत्व –
- हिन्दू पंचांग के अनुसार दीवाली की रात्रि को अमावस्या होती है अतः चन्द्रमा उदित नहीं होता है. ये रात्रि साल की सबसे गहरी रात्रि होती है.
- तंत्र के अन्दर अमावस्या का बहुत महत्तव होता है साधना करने के लिए.
- दीपावली की रात्रि को तांत्रिक लोग सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान करते हैं.
- साधारण लोग भी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूरी रात पूजा करते हैं.
- दीपावली की रात्रि अनुष्ठानो को करने की रात है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को चाहने वालो को दीपावली की रात्रि जरुर साधना करनी चाहिए.
दीपावली पूजन विधि की सामग्री :
- लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
- केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
- सूखे मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
- रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी :
चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहें. लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें.
यह कलश वरुण का प्रतीक है. लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ. गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ. सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें. तीन थालियों में निम्न सामान रखें.
- ग्यारह दीपक(पहली थाली में)
- खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप सिन्दूर कुंकुम, सुपारी, पान (दूसरी थाली में)
- फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक. (तीसरी थाली में)
इन थालियों के सामने पूजा करने वाला व्यक्ति बैठे बाकी परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. शेष सभी परिवार के सदस्यों पीछे बैठे.
लक्ष्मी पूजन विधि ( दिवाली पूजन विधि ) :
सबसे पहले दीपावली पूजन की जगह निश्चित कर ले. वहां पर पाटा लगा के उस पर लाल शुद्ध वस्त्र बिछा दे. अब वहां पर कलश स्थापना करे , इसके लिए कलश में जल भरे और फिर उसमे सुपारी, फूल, गंगा जल, सिक्का, चावल, दूर्वा घास आदि डाल दे और उसे स्थापित करे.
फिर उसके ऊपर एक नारियल रखे, नारियल पर स्वस्तिक बना दे साथ ही कलश पर भी स्वस्तिक बना दे. कलश को रखने से पहले थोड़े चावल नीचे रखे. कलश के पीछे आपको लक्ष्मी जी की तस्वीर रखना चाहिए, कुछ लोग कलश के ऊपर भी महालक्ष्मी की स्थापना करते हैं.
भगवान् गणेश को कलश के दाए तरफ स्थापित करके गणेश पूजन करना चाहिए. अब पूजन से पहले कुछ देर के लिए ॐ का जप कर लेना चाहिए. पूजन से पहले थोडा गंगाजल लेकर सभी तरफ छिड़क देना चाहिए. दीपक जला दे और फिर कलश का पूजन करे और थोड़े चावल हाथ में ले के माता लक्ष्मी का आवाहन करे और फिर उनके फोटो पर चावल छोड़ दे.
अब माता लक्ष्मी की मूर्ति हो तो उसका पंचामृत से अभिषेक करे ऐसे में किसी भी महालक्ष्मी के मंत्र को जपते रहे. पंचामृत अभिषेक के बाद उनको अपने स्थान पर रख के उनका पंचोपचार पूजन करे अर्थात उनको धुप , दीप, नैवेद्य, वस्त्र आदि अर्पित करे. व्यापारी लोग बही खाते का पूजन करते है, और गाँव वाले पशुओ की पूजा भी करते हैं.
पूजन के बाद घर के सभी कमरों में दीपक जलाए, छत और भर भी दीपक जलाए. इसके बाद महालक्ष्मी की आरती और उनके मंत्रो का यथाशक्ति जप करना चाहिए.
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दीपावली पूजन विधि के बाद बाद ही दीपावली के अन्य कार्यक्रम एवं अनुष्ठान करने चाहिए.