क्या होती है बेनामी संपत्ति ?
ऐसी संपत्ति जो बिना नाम की होती है उसे बेनामी संपत्ति कहते हैं। इसके तहत लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता जिसने संपत्ति के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी अन्य शख्स के नाम पर होता है।
- जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो यह बेनामी प्रॉपर्टी कहलाती है.
- लेकिन शर्त ये है कि खरीद में लगा पैसे आमदनी के ज्ञात स्रोतों से बाहर का होना चाहिए. भुगतान चाहे सीधे तौर पर भी किया जाए या फिर घुमा फिराकर.
- अगर खरीदार ने इसे परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर भी खरीदा हो तब भी ये बेनामी प्रॉपर्टी ही कही जाएगी.
- सीधे शब्दों में कहें तो बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता लेकिन प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा रखता है.
- बेनामी संपत्ति की लेनदेन के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को सात साल तक के कैद की सजा हो सकती है और प्रॉपर्टी की बाजार कीमत के एक चौथाई के बराबर जुर्माना लगाया सकता है.
- काले धन पर जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमिटी ने 3 लाख से ज्यादा के नकद लेनदेन पर रोक लगाए जाने की सिफारिश की थी.
हाल में बेनामी लेनदेन अधिनियम में क्या हुआ संसोधन ?
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बेनामी प्रॉपर्टी पर रोकथाम लगाने के मुद्दे पर ज्यादा सख़्त कानून लाने की बात की. सरकार ने बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए बेनामी लेनदेन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था। इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन वर्ष की जेल और जुर्माना या दोनों होने का प्रावधान था। इस कानून में संशोधन के लिए केंद्र की मौजूदा सरकार ने वर्ष 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया। बीते अगस्त महीने में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी। आप को बता दें कि हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दी है।