नोबेल पुरस्कार क्या है ~ What is Nobel Prize in Hindi

  नोबेल पुरस्कार क्या है? What is Nobel Prize in Hindi  

नोबेल पुरस्कार विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है. यह पुरस्कार वर्ष में एक बार पांच क्षेत्रों साहित्य, विश्व शांति, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है. Nobel Prize, Nobel Foundation द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाता है.

  नोबेल पुरस्कार की शुरुआत कब हुई?  

29 जून 1900 को नोबेल फ़ाउंडेशन की स्थापना की गयी तथा इसके बाद नोबेल पुरस्कार कि शुरुआत 10 दिसंबर 1901 को हुई थी. उस समय साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र और विश्व शांति के लिए पहली बार यह पुरस्कार दिया गया था. उस समय पुरस्कार स्वरुप करीब 5.5 लाख रूपये की राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाता था.

डॉ. अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार उनकी कुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट के नाम कर  दिया गया था. उनकी इच्छा के अनुसार इस पैसे से मिलने वाले ब्याज से प्रतिवर्ष उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाना था जिन्होंने मानवता की भलाई के विशिष्ट योगदान दिया हो.

  वसीयत में क्या था?  

पांच क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तयों का चयन करने के लिए डॉ. अल्फ्रेड बोबेल ने अपनी वसीयत में कुछ संस्थाओं का उल्लेख किया था.

10 दिसंबर 1896 को को वो दुनिया से तो विदा हो गए लेकिन लेकिन साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र और विश्व शांति के क्षेत्र में विशेष योगदान करने वालों के लिए अथाह संपत्ति छोड़ गए.

नोबेल फाउंडेशन में पांच लोगों की टीम है इस फाउंडेशन का मुखिया स्वीडन की किंग ऑफ काउन्सिल द्वारा तय किया जाता है. जबकि अन्य चार सदस्यों का चयन पुरस्कार पुरस्कार वितरण करने वाले संस्थान के ट्रस्टियों द्वारा किया जाता हैं.

  अल्फ्रेड नोबेल का संक्षिप्त जीवन परिचय  

21 अक्टूबर 1833 को स्टॉकहोल्म के स्वीडन में जन्मे अल्फ्रेड नोबेल 8 भाई बहन थे. अल्फ्रेड कि माँ एंडीएटा एह्सेल्स एक बहुत ही धानी परिवार से थे तथा उनके पिता इमानुएल नोबेल एक इंजिनियर तथा अविष्कारक थे. उन्होंने  स्टॉकहोम में अनेकों पुल और भवनों का निर्माण किया था.

हालाँकि जब अल्फ्रेड नोबेल का जन्म हुआ था उसी साल उनका पूरा परिवार दिवालिया हो गया था. इसके बाद उनका परिवार स्वीडन छोड़ कर रूस के पीटर्सबर्ग शहर में जा बसा.

पीटर्सबर्ग में नोबेल परिवार कई उद्योग स्थापित किये जिनमे से एक विस्फोट बनाने वाला कारखाना भी था. अल्फ्रेड 17 साल कि उम्र में ही स्वीडिश, फ्रेंच, जर्मन, अंग्रेजी और रुसी भाषाएँ सीख चुके थे.

कारखाना भी था. युवावस्था में वह अपने पिता का कारखाना सँभालने लगे. सन 1864 को कारखाने में एक दिन अचानक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ  जिसमे उनका छोटा भाई मारा गया.

इस घटना ने उनके दिमाग में एक नए विचार को जन्म दिया. इसके पूर्व जितने भी विस्फोटक पदार्थ का अविष्कार हुआ था उनमे अनिश्चितात्तायें थी. जिसकी वजह से उनके एक भाई की मृत्य हो गयी थी.

उन्होंने विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए एक नए अविष्कार को जन्म दिया जिसे दुनिया आज डायनामाईट के नाम से जानती है. इसके बाद उन्होंने दुनिया के 20 देशों में करीब 90 कारखाने स्थापित किये.

अल्फ्रेड नोबेल विश्व के महानतम अविष्कारों में से एक माने जाते है. उन्होंने अपने जीवनकाल में विभिन्न अविष्कारों पर 355 पेटेंट कराये थे. उन्होंने रबड़, चमड़ा, कृत्रिम सिल्क जैसी चीजों का अविष्कार करने के बाद डायनामाईट का अविष्कार कर पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था.

डायनामाईट के अविष्कार के बाद ही सुरक्षित विस्फोट के जरिये भरी भरकम चट्टानों को तोड़ कर सुरंगे, बाँध एवं रेल कि पटरियां बिछाने का कार्य आसान हो सका.

  नोबेल पुरस्कार की प्रेरणा कैसे मिली  

नोबेल पुरस्कार देने के पीछे कि घटना बहुत ही रोचक है. दरअसल एक दुर्घटना में उनके भाई की मृत्यु हो गयी थी जिन्होंने डायनामाईट के अविष्कार में अल्फ्रेड नोबेल का सहयोग किया था. अपने भाई कि मृत्यु के बाद अल्फ्रेड नोबेल ने एक न्यूज़ पेपर की हैडलाइन देखी जिसे पढ़ कर वह बहुत ही ज्यादा दुखी हुये और उस समाचार पत्र की हैडलाइन ने उनके जीवन को बुरी तरह से हिला दिया.

यह हैडलाइन थी “मौत के सौदागर की दुर्घटना में मृत्यु” दरसल उस न्यूज़ पेपर में उनके भाई की मृत्यु की जगह गलती से उनकी मौत कि खबर छप गयी थी. पूरी खबर को पढने के बाद अफ्रेड नोबेल को अहसास हुआ कि डायनामाईट का अविष्कार उनकी बहुत बड़ी गलती थी.

क्यूंकि इसका उपयोग मानव जीवन को खतरे में डालने वाला अविष्कार था. और दुनिया उनको एक वैज्ञानिक कम “मौत के सौदागर” के रूप में जानने वाली थी. इस घटना से उनके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आया.

जिसके फलस्वरूप पश्चाताप करने के उद्देश्य से उन्होंने अपनी कुल सम्पत्ति का एक बहुत हिस्सा उन लोगों को देने का निर्णय किया जो मानवता के उत्थान के लिए विशष्ट योगदान देंगे.

  नोबेल प्राइज पाने वाले भारतीय  

नोबेल प्राइज के शुरुआत होने के बाद से अब तक कुल 11 भारतियों को यह पुरस्कार मिल चुका है. भारतीय पुरस्कार विजेताओं के नाम एवं वर्ष नीचे क्रमवार दिए है.

सम्मानित व्यक्तिक्षेत्रवर्ष
रविंद्रनाथा टैगोरसाहित्य1913
चंद्रशेखर वेंकटरमनभौतिकी1930
हरगोविंद खुरानाचिकित्सा1968
मदर टेरेसाशांति1979
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखरभौतिकी1983
अमर्त्य सेनअर्थशास्त्र1998
वी एस नायपॉलसाहित्य2001
आर के पंचौरीशांति2007
वेंकटरमन रामकृष्णनरसायन2009
कैलाश सत्यार्थीशांति2014
अभिजीत बनर्जीअर्थशास्त्र2019

 

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