दुनिया की सबसे पहली नंबर प्लेट का इतिहास: किसी भी गाड़ी में उसकी नंबर प्लेट बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस नंबर प्लेट से हमें गाड़ी से संबंधित ढेर सारी जानकारियाँ मिल जाती है। जैसे गाड़ी नंबर से मालिक का पता लगाना हो या वाहन बीमा है या नहीं, गाड़ी कितनी पुरानी है इत्यादि की जानकारी बड़े ही आराम से हो जाती है। यह गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर होता है इसके जरिए इस बात का पता लगाया जा सकता है कि गाड़ी देश के किस राज्य और जिले से है। अगर ड्राइवर गाड़ी चलाते समय किसी नियम का उल्लंघन करता है तो पुलिस और परिवहन अधिकारी नंबर प्लेट के आधार पर ही आगे की कार्यवाही करते हैं।
गाड़ियों पर नंबर प्लेट आमतौर पर संसार के सभी देशों में लगाई जाती है, पर आपने कभी सोचा है कि दुनिया में पहली नंबर प्लेट की शुरुआत कहां से हुई? अगर नहीं तो आज इस छोटी मगर रोचक जानकारी के बारे में जानेगे की दुनिया में पहली बार नंबर प्लेट का इस्तेमाल कैसे और कब शुरू हुआ।
इसके पहले के लेख में हमने जाना था कि भारत में इन्टरनेट कब आया और गाड़ी चोरी होने पर क्या करना चाहिए। आपको वह लेख कैसे लगे या फिर आपने अभी तक उन लेखों को नहीं पढ़ा है तो एक बार जरुर पढ़ें।
दुनिया की सबसे पहली नंबर प्लेट का इतिहास:
दुनिया में सबसे पहले नंबर प्लेट का इस्तेमाल सन 1783 में फ्रांस के राजा लुईस सोलहवें ने अपनी बग्घी पर किया था। उनकी यह बग्घी घोड़े खींचते थे। उनकी गाड़ी अन्य गाड़ियों से अलग दिखाई दे। इसके बाद जब कार और अन्य गाड़ियों का आविष्कार हुआ और धीरे-धीरे सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ने लगी तो उनका रिकॉर्ड रखने की जरूरत महसूस हुई।
फ्रांस दुनिया पहला देश था जहां 14 अगस्त 1893 को नंबर प्लेट का चलन शुरू हुआ। इस नंबर प्लेट के फायदों को देखते हुए इसके बाद जर्मनी ने 1896 में, और जर्मनी के बाद नीदरलैंड ने 1898 में नंबर प्लेट सिस्टम को अपनाया। इस नंबर प्लेट के बहुत सारे लाभों को देखते हुए पूरी दुनिया में धीरे धीरे यह सिस्टम लागू हो गया। आज गाड़ी नंबर के भारत में नंबर प्लेट की शुरुआत अंग्रेजो के समय से ही हो गयी थी।
भारत में नंबर प्लेट की शुरुआत कब हुई?
भारत में नंबर प्लेट की शुरुआत 1902 से मानी जाती है। देश में इस समय जो नंबर प्लेट सिस्टम लागू है उसे 90 के दशक में लाया गया था। भारत में नंबर प्लेट क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा जारी की जाती है। नंबर प्लेट पर सबसे पहले उस राज्य का कोड लिखा होता है जहां गाड़ी पंजीकृत होती है। यह कोड अंग्रेजी के 2 अक्षरों का होता है, इसके बाद के 2 अंक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के बारे में सूचना देते हैं। फिर गाड़ी की पहचान के लिए 4 अंकों की एक विशेष संख्या लिखी होती है। इसी पैटर्न पर पूरे देश में रजिस्ट्रेशन नंबर अलाट किए जाते हैं। वर्तमान नियमों के अनुसार गाड़ियों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। कुछ लोग गाड़ियों की नंबर प्लेट को अपने लिए अच्छे भाग्य और प्रतिष्ठा का विषय मानते हैं। परिवहन विभाग VIP नम्बरों की नीलामी करता है और लोग अपनी पसंद का VIP Number लेने के लिए अच्छी खासी कीमत भी देते है।
क्या आप जानते है?
दोस्तों क्या आप जानते है कि एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स अमेरिका के ऐसे व्यक्ति है जो बिना नंबर प्लेट की गाडी चलते है। अगर आप सोच रहे है कि वो अमेरिका के बहुत बड़े उद्योगपति है इसलिए उन्हें इसके लिए छूट मिली होगी। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। दरअसल अमेरिका के कैलिफोर्निया में व्हीकल लॉ के अनुसार किसी भी नयी गाड़ी को बिना नंबर प्लेट के छह महीने तक चलाया जा सकता है और इसके बाद पकड़े जाने पर जुरमाना वसूला जाता है। और स्टीव जॉब्स किसी हर छह महीने में अपनी गाडी बदल देते थे। वह ऐसा इसलिए करते थे ताकि उन्हें कोई ट्रेस न कर पाए।
दुनिया की सबसे महंगी नंबर प्लेट:
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की सबसे महंगी नंबर प्लेट की कीमत एक लग्जरी गाडी की कीमत से भी कहीं ज्यादा है। दरअसल यूके के एक प्रसिद्द कार कस्टमाईजर कंपनी के मालिक के पास एक गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर है जिसकी कीमत 90 करोड़ रूपये लगायी जा चुकी है लेकिन उन्होंने इसे बेचने से मन कर दिया। इस नंबर प्लेट का रेदिस्रतिओन नंबर है F1. आपकी जाकारी के लिए बता दूँ की कि F1 नंबर ‘फॉर्मूला 1 रेसिंग’ का शॉर्ट फॉर्म है। इसी के चलते इस नंबर प्लेट की कीमत 90 करोड़ रूपये लगायी गयी थी। अगर यह नंबर बिकता है तो यह दुनिया की सबसे महंगी नंबर प्लेट होगी।
अगर आपके पास भी कोई गाड़ी है और उसका नंबर खास है तो आप कमेंट्स में हमें बता सकते है। अगर आपको यह जानकरी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे “क्यूंकि ज्ञान बटने से बढ़ता है और ज्यादा ज्ञान बाटना सेहत के लिए नुकसानदेय है“। कैसा लगा आपको मेरा मजाक, हेहेहेहे।
जय हिन्द जय भारत