Love meaning in hindi – प्यार क्या होता है?

Love meaning in hindi: प्यार एक ऐसा शब्द जिसे हम अपनी जिंदगी में लाखों बार प्रयोग करते हैं. प्रेम की हमारी जिंदगी में उतनी आवश्यकता है जितना कि खाने में नमक की. लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि आखिर प्यार का मतलब क्या होता है? What is meaning of Love?

जब हम प्यार की बात करते है तो इसे दो लोगों के बीच की बात समझी जाती है. क्या वास्तव में दो लोगों के बीच की अभिव्यक्ति प्यार ही होती है या कुछ और.

Love Meaning in hindi : प्यार क्या होता है

LOVE को Hindi में प्यार कहते है. इसके बहुत सारे अर्थ होते है जैसे :- मोहब्बत, इश्क, प्रणय, प्रीति, प्रेम, रुचि, लय, स्नेह, काम, वफा, वात्सल्य, सुभगता, चाह, पसंद इत्यादि. LOVE शब्द दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयुक्त होने वाला शब्द है और युवा इस शब्द का सबसे ज्यादा प्रयोग करते है.

प्यार को लेकर सबके अपने-अपने विचार है.  प्रेमी का प्रेमिका से प्रेम, माता का पुत्र से प्रेम, बालक का अपने पिता से प्रेम, भाई का बहन से प्रेम, हर कोई किसी ना किसी से प्यार करता है. तो आज मैं इसी प्यार के बारे में अपने विचार व्यक्त करना चाहता हूँ.

और कमेंट्स के माध्यम से आपके विचार भी जानना चाहूँगा. कि आपकी नजर में meaning of Love क्या है? तो मैं मेरे नज़रिये से बताता हूँ Definition of love. और आप भी कमेंट्स में जरुर बताये, तो चलिए शुरू करते है….

Definition of love in hindi

जब दो युवा विपरीत लिंग के बीच प्यार की बात आती है तो मेरी नजर में यह प्यार नहीं है बल्कि हार्मोनल चेंज के कारण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है, जिसे आज हम प्यार का नाम देते है. प्यार तो एक बहुत ही पवित्र चीज है ये अचानक ही किसी को देख कर पैदा नहीं हो जाता है. ये वो मौन भावना है जिसे व्यक्त नहीं किया जा सकता है.

यह ठीक वैसा ही है जैसे हम गुप्त दान करते है. गुप्त दान गुप्त तभी तक होता है जब इसकी व्याख्या किसी के सामने न की जाये. हम जैसे ही इसकी व्याख्या करते है तो यह गुप्त नहीं रहता और सार्वजनिक हो जाता है. सच्चा प्रेम भी ठीक वैसा ही है. जब तक व्यक्त न किया जा जाये तो यह वास्तव में सच्चा ही रहता है लेकिन जैसे ही इसकी अभिव्यक्ति का प्रदर्शन होता है यह अपनी पवित्रता को खो देता है और यह विश्वशनीय नहीं रह जाता है.

एक माँ कभी भी अपने पुत्र से यह नहीं कहती कि वह उससे बहुत प्रेम करती है. एक पुत्र अपने पिता को अपने प्रेम का इज़हार नहीं करता करता क्योंकि प्रेम की पवित्रता तभी तक है जब तक गोपनीय रहता है. प्रदर्शित किया हुआ प्रेम छलावे का आवरण होता है.

हम जब अपने प्यार का इज़हार करते है तो हम यह आशा करते है कि दूसरा व्यक्ति भी हमसे अपने प्यार का इजहार करे, यानि कि लेन देन का व्यापार. अपने प्यार के बदले में दूसरे का प्यार पाने की आशा में एक स्वार्थ दिखाई देता है. और प्यार तो त्याग और समर्पण का पर्याय है न कि आदान प्रदान करने की वस्तु.

यदि हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर दे और बदले में उस व्यक्ति से कुछ न चाहें तो ये भी प्यार की एक परिभाषा हो सकती है. हो सकता है अपनी भावनाओं को व्यक्त कर देने से मन का बोझ कम हो जाए, परन्तु उससे बदले में वैसे ही व्यवहार की उम्मीद बेमानी हो जाती है.

फिर एक बात आती है हम कहते है कि कोई तो ऐसा होना चाहिए जिससे हम अपनी भावनाओ को साझा कर सके. हम अपने दोस्तों से तो सारे सीक्रेट शेयर करते रहते है. ऐसा क्यूँ, ऐसा इसलिए क्यूंकि हम उन पर विश्वास करते है और प्यार तो विश्वास की पहली कड़ी होती है.

तो फिर क्यूँ अपनी फीलिंग्स साझा करने के लिए किसी विपरीत लिंग के व्यक्ति आवश्यकता पड़ती है. पता है क्यूँ, विपरीत लिंग के कारण. ये हारमोंस परिवर्तन की वजह से होता है और हम विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होते है. ये कोई प्रेम या प्यार जैसा कुछ नहीं होता. हम तो केवल अपने स्वार्थ के लिए इसे प्यार का नाम दे देते है.

Love meaning in hindi

आजकल लोग तो Hindi movies देख कर एक Love meaning in hindiऐसे प्यार को जानने लगे है, जिसका वास्तिवक जीवन से कोई लेना देना ही नहीं होता है. किसी से प्यार है तो कह डालो. अपनी फीलिंग्स बता दो यही सब सीखते समझते है. लेकिन ये सच्चा प्यार कहाँ. फिल्मो में हीरो हिरोइन एक दुसरे को प्यार करते है. ये सब तो स्क्रिप्टेड होता है.

हमें वही दिखाया जाता है जैसा वो चाहते है. फ़िल्मी दुनिया के लोग तो दो-तीन शादी और तलाक का खेल खेला करते है और समाज को फिल्मों के माध्यम से प्यार सिखाते है. एक ऐसे प्यार का खेल जो खोखला होता है.

प्यार तो तो बहुत ऊँची चीज है. इसे शब्दों या फिल्मों के माध्यम से प्रकट नहीं किया जा सकता है. इसे समझना बहुत कठिन है. कबीर दास जी ने कहा है

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय.

कहने का मतलब जिसने इस ढाई अक्षर को समझ लिया वही सच्चा ज्ञानी है. लेकिन प्यार करना और प्यार को समझना दोनों अलग अलग विषय है. सच्चा प्यार तो एक अहसास होता होता है. जिसका पता उसकी कमी होने पर चलता है.

आजकल के स्वार्थी युग में यदि किसी चीज की कमी आई है वह है सच्चा प्यार और इसके दोषी कहीं न कहीं हम खुद ही है.

ईश्वर ने प्रेम बनाया और कहा तुम्हारा कोई मूल्य नहीं होगा, तुम अमोल ही रहोगे

और हमने क्या किया, हमने तो हर चीज का मोल लगा दिया और हर वास्तु को बाजारू कर दिया, और इस बाजार में बिकने लगा एक नकली प्यार. और इस नकली प्यार को खरीदने के लिए हम झूठा श्रंगार करने लगे, स्वांग रचाने लगे और कपडे पर कपडे बदलने लगे, और पीछे छूट सच्चा प्यार. क्यूंकि सच्चा प्रेम तो अमूल्य है, वो तो बिक ही नहीं सकता और कोई उसे खरीद भी नहीं सकता.

एक माँ कभी अपने बच्चे से अपने प्रेम का मूल्य नहीं मांगती. वो 9 महीने तक एक बालक को अपने कोख में रख कर हर दुःख दर्द को सहती रही, क्या इसलिए कि एक दिन बेटा बड़ा होकर उसके प्रेम का मूल्य चुकाएगा. और बेटे भी ऐसे निकलने लगे कि उन्हें माँ का प्यार भी अहसान लगने लगा और माँ-बाप के असमर्थ होते ही उन्हें किराये की तरह रखने लगते है. उन्हें बोझ लगने लगते है.

वो माँ बाप जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपने बेटे-बेटियों के उज्जवल भविष्य के लिए त्याग दिया आज हम उनके भी प्यार का मोल लगाने लगे है. एक महीना माँ-बाप छोटे के पास रहेंगे और एक महीना बड़े के पास. क्या आज हम इसी को प्यार कहते है.

नहीं साहब ये तो व्यापार है, बाजारू है. यहाँ तो स्वार्थ ने जन्म ले लिया है. माँ-बाप तो रुखी-सूखी खा कर हमें पाल सकते है लेकिन हम अपने माँ बाप को तो रुखी-सूखी भी नहीं खिला सकते. इससे तुच्छ इस संसार में कुछ भी नहीं हो सकता है. एक अंजान लड़की या लड़के के पीछे हम चाँद तारे तोड़ कर लाने की कसमे खा सकते है, लेकिन जिन्होंने हमसे सच्चा प्यार किया उनके लिए हम कुछ भी नहीं कर सकते है. ये प्यार, प्यार न होकर व्यापार हो गया है. और प्यार तो एक अनमोल वस्तु है जिसे कोई खरीद या बेच नहीं सकता.

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मैं अपनी कलम को यही पर रोकता हूँ लिख तो बहुत कुछ सकता हूँ लेकिन अब मेरे हाथ नहीं चल रहे है.. .. .. .. .. .. .. .. .. ..

अंत में :

आपकी मेरे इस लेख के विषय में क्या राय है और आप Love meaning in hindi के बारे में क्या सोचते है, कमेंट्स में जरुर बताये. यह भी जरुर बताये क्या मैंने जो कुछ भी प्यार क्या होता है? के बारे लिखा आप उससे कितना सहमत है?

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Kuldeep Manohar
कुलदीप मनोहर Kyahai.net हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. मै एक Professional Blogger हूँ और SEO, Technology, Internet से जुड़े विषयों में रुचि रखता हूँ. अगर आपको ब्लॉगिंग या Internet जुड़ी कुछ जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है. हमारा यह मकसद है के इस ब्लॉग पे आपको अच्छी से अच्छी जानकारी मिले.

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