Health Rules in Hindi स्वस्थ रहने के 56 नियम: जीवन में सुखी रहने के लिए अच्छी सेहत का होना बहुत जरूरी है. और अच्छी सेहत के लिए स्वस्थ के नियमों का. अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ ऐसे नियम है जिनका पालन करते रहना चाहिए. क्यूंकि जीवन जीने का नियम सही नहीं होगा तो शारीर में बीमारियाँ बनी ही रहेंगी.
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान रखना बहुत कठिन हो गया है और इंसान छोटी छोटी बिमारियों के लिए भी दवाइयों पर निर्भर हो गया है. पहले के लोग बिना दवाइयों के ही निरोगी और लम्बा जीवन व्यतीत करते थे जबकि आज कल दवाओं का सेवन करने के बाद भी लोग निरोगी नहीं हो पा रहे है.
इसका सबसे प्रमुख कारण है अनियमित जीवन शैली. आज के इस लेख में मैं आपको स्वास्थ्य जीवन जीने के 56 अनमोल Health Rules बताने जा रहा हूँ जिनमे से आप 10-5 नियमों का भी नियमित पालन करेंगे तो भी आप बहुत से रोगों से छुटकारा पा जायेंगे. तो आइये जानते है स्वस्थ रहने के 56 नियम Health Rules in Hindi में.
Health Rules in Hindi स्वस्थ रहने के 56 नियम
- नित्यप्रति सूर्योदय से पूर्व सोकर उठें. रात्रि में अधिक देर तक जागें नहीं. ऐसा करने से मस्तिष्क अतिरिक्त उर्जा मिलती है और रक्त संचार का संतुलन बना रहता है, जिससे ब्लड प्रेशर इत्यादि की बीमारियों को कम करने में सहायता मिलती है और अनिद्रा रोग में भी लाभ मिलता है.
- प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करें, तैरने से अच्छा व्यायाम हो जाता है. सप्ताह में कम से कम एक बार पूरे शरीर की 30 मिनट तक मालिश करें.
- सुबह शाम टहलना लाभदायक है. नियमित रुप से टहलने से संपूर्ण शरीर में चुस्ती फुर्ती आती है, धमनियों में रक्त के थक्के नहीं बनते है. हृदय रोग, मधुमेह और ब्लड प्रेशर में लाभ पहुंचता है.
- धूप, ताजी हवा, साफ स्वच्छ पानी और सदा सात्विक भोजन स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है.
- नित्य योगासन प्राणायाम करने से रोग नहीं होते और दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है.
- स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है, इसलिये शरीर को स्वस्थ रखें. सदाचारी, निरोगी व्यक्ति सदा सुखी रहता है.
- तेज रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचाती है. यदि धूप इत्यादि में कार्य करना मजबूरी हो तो फोटोक्रोमेटिक चश्मे का प्रयोग करे.
- स्नान करते समय सिर पर जल डालना चाहिए, उसके बाद अंगो पर, जल न तो अति शीतल हो और न बहुत गर्म. स्नान के बाद किसी मोटे तौलिए से अच्छी तरह रगड़ कर पोछना चाहिए.
- भोजन न करने से तथा अधिक भोजन करने से पाचकाग्नि दीप्त नही होती. भोजन के अयोग, हींन योग, मिथ्यायोग और अतियोग से भी पाचकाग्नि दीप्त नहीं होती है.
- भोजन के बाद दांतो को अच्छी तरह साफ करें, अन्यथा अन्य कणों के दांतों में लगे रहने से उसमें सड़न पैदा होगी.
- खूब गरम गरम खाने से दांत तथा पाचन शक्ति दोनों की हानि होती है. जरूरत से अधिक खाने से अजीर्ण होता है और यही अनेक रोगों की जड़ है.
- भोजन के पश्चात तुरंत न लेटे कुछ देर टहलने के बाद ही विश्राम करे.
- रात में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को एक पाव ठंडे पानी में भिगो दें, सुबह छानकर उससे आंखें धोयें और बचे हुए जल को पी जाएं.
- नित्य मुख धोने के समय ठंडे पानी से आंखों में छीटें लगाएं इससे आंखे स्वस्थ रहती हैं.
- हफ्ते दस दिन के अंदर पर कानों में तेल की कुछ बूंदें डालनी चाहिए इससे कानो में मैल जमने नहीं पाता है.
- बिस्तर के स्थान को साफ सुथरा रखें, नींद आने पर ही सोना चाहिए, बिस्तर पर पड़े पड़े नींद की राह देखना रोग को आमंत्रित करना है, दिन में सोने की आदत न डालें.
- मच्छरों को दूर करने का उपाय करें, वे रोगों को फैलाने में सहायक होते हैं.
- अगरबत्ती, कपूर अथवा चंदन का धुआँ घर में हर रोज कुछ क्षणों के लिए करें, इससे घर का वातावरण पवित्र होता है.
- स्वांस सदा नाक से और सहज ढंग से ले, मुँह से स्वांस न ले, इस से आयु कम होती है,
- अच्छा साहित्य पढ़ें, अश्लील एवं उत्तेजक साहित्य पढ़ने से बुद्धि भ्रस्ट होती है, दूसरों के अच्छे गुणों को अपनाये.
- सुबह उठते ही आधा लीटर से एक लीटर तक पानी पीना चाहिए, यदि पानी तांबे के बर्तन में रखा हुआ हो तो अधिक लाभप्रद होगा.
- कपड़ छान किये नमक में कडुआ तेल मिलाकर दांत और मसूड़ों को रगड़कर साफ करना चाहिए, इससे दांत मजबूत होते हैं और पायरिया से भी मुक्ति मिल सकती है.
- एक गिलास दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए इससे शरीर को पोषक तत्व की प्राप्ति होती है.
- सप्ताह में केवल नींबू पानी पीकर एक दिन का उपवास करें, इससे पाचन शक्ति सशक्त होगी और अपच, कब्ज और बवासीर जैसे कष्टदायक रोग से मुक्ति मिलती है. यदि पूरा उपवास न कर सकें तो फल खाकर या फल का रस पीकर उपवास करें.
- पचास से अधिक उम्र होने पर दिन में एक ही बार अन्न खाये बाकी समय दूध और फल पर रहें.
- भोजन करते समय और सोते समय किसी प्रकार की चिंता, क्रोध शोक न करें.
- सोने से पहले पैरों को धोकर पोछ लेवें कोई अच्छी स्वास्थ्य संबंधी पुस्तक पढ़ने और अपने इष्टदेव को स्मरण करते हुए सोने से अच्छी नींद आती है.
- रात्रि का भोजन सोने से तीन घंटे पहले करना चाहिए भोजन के एक घंटा फल या दूध लें.
- सोते समय मुंह ढक कर नहीं सोयें खिड़कियां खोलकर सोयें, सोने का बिस्तर बहुत मुलायम नही होना चाहिए.
- सुबह-सुबह हरी दूब पर नंगे पाँव टहलना भी काफी लाभप्रद है. पैर पर दूब के दबाव से तथा पृथ्वी के सम्पर्क से कई रोगों की चिकित्सा स्वतः हो जाती है.
- न तो इतना व्यायाम करना चाहिए और न ही इतनी देर टहलना चाहिए कि काफी थकावट आ जाए. टहलने और व्यायाम के लिए सूर्योदय का समय ही सबसे उत्तम है.
- गरम दूध, चाय या गर्म जल पीकर तुरंत ठंडा पानी पीने से दांत कमजोर हो जाते हैं.
- शयन करते समय सिर उत्तर या पश्चिम में रखकर नहीं सोना चाहिए.
- कपड़ा, बिस्तर, कंघी, ब्रश, तौलिया, जूता-चप्पल आते वस्तुएं परिवार के हर व्यक्ति की अलग-अलग होनी चाहिए. दूसरे की वस्तु उपयोग में न लायें.
- दिन और रात में कुल मिलाकर कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीना चाहिए. इससे अशुद्धि मूत्र के दौरान निकल जाती है. रक्तचाप आदि पर निमंत्रण रहता है.
- प्रौढावस्था शुरू होते ही चावल, नमक, घी, तेल,आलू और तली-भुनी चीजें खाना कम कर देना चाहिए.
- केला, दूध, दही और मट्ठा एक साथ नहीं खाना चाहिए.
- कटहल के बाद दही और मट्ठा एक साथ नहीं खाना चाहिए.
- शहद के साथ उष्णवीर्य पदार्थों का सेवन ना करें.
- दूध के साथ इन वस्तुओं का प्रयोग हानिकारक होता है -नमक, खट्टा फल, दही, तेल मूली और तोरई.
- दही के साथ किसी भी प्रकार का उष्णवीर्य पदार्थ- कटहल, तेल, केला आदि खाने से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं. रात को दही खाना निषिध्द है. शरद् और ग्रीष्म ऋतु में दही खाने से पित्त का प्रकोष होता है.
- दूध और खीर के साथ खिचड़ी नहीं खानी चाहिए.
- पढ़ना-लिखना आदि आंखों के द्वारा होने वाला कार्य लगातार काफी देर तक ना करें.
- गर्मी में धूप में आकर तत्काल स्नान न करें और न तो हाथ पैर या मुँह ही धोयें.
- देर रात तक जागना या सुबह देर तक सोते रहना आंखों और स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है.
- अधिक वसायुक्त आहार, धूम्रपान एवं मांसाहारी भोजन हृदय के लिए नुकसानदेह होते हैं. ये रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं.
- नियमित व्यायाम से शरीर की क्षमता बढ़ती है. शरीर में हानिकारक तत्वों की मात्रा घटती है. नियमित योग एवं व्यायाम, कम वसायुक्त भोजन तथा नियमित दिनचर्या से अनेक रोग स्वतः समाप्त हो जाते हैं.
- तम्बाकू, शराब, चरस, अफीम, गांजा आदि जहर से भी खतरनाक है, मादक द्रव्यों का सेवन करने न करें.
- नियमित समय पर प्रातः जागकर शौच जाने वाला, समय पर भोजन करने और सोने वाला व्यक्ति संपन्न और बुद्धिमान होता है.
- भोजन करने के बाद लघुशंका अवश्य करनी चाहिए इससे गुर्दे स्वस्थ रहते हैं.
- सही मुद्रा में चलने-बैठने का अभ्यास करना चाहिए बैठते समय पीठ सीधी रखकर बैठें.
- धूप, वर्षा और शीत की अति से शरीर को बचाना चाहिए.
- अत्यधिक भीड़-भाड़ तथा सीलनयुक्त स्थान स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता.
- प्रगाढ़ निद्रा में सोये व्यक्ति को नहीं जगाना चाहिए.
- सुबह उठते ही यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि आज दिनभर न तो किसी की निंदा करूंगा और न ही क्रोध करके किसी को भला-बुरा कहूंगा.
- फलों का सेवन भोजन करने से एक घंटा पूर्व करना चाहिए. भोजन करने के पश्चात् फलों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि फल पके होते है और उन्हें पचने में ज्यादा समय नहीं लगता है.
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स्वस्थ रहने के 56 नियम
दोस्तों उपरोक्त जो बातें बताई गई हैं यह यम-नियम के अंतर्गत आती हैं, जो अष्टांग योग का ही एक हिस्सा है. तो यदि हम ऊपर बताई गई 56 बातों में से यदि किन्ही 6 बातों को भी अपने जीवन में उतार लेते हैं और जीवन भर इन बातों का प्रण करते हैं तो भी हम अपने जीवन को बहुत हद तक निरोगी बना सकते हैं.
क्यूंकि नियमों का पालन करने से मानसिक शक्ति में भी वृद्धि होती है. और यहाँ पर तो आपको सेहत का खजाना भी मिल रहा है. तो देर किस बात की आज ही संकल्प ले कि मुझे आज से ही health rules के इन नियमों का पालन करना है. आशा करता हूँ आपको स्वस्थ रहने के 56 नियम Health Rules in Hindi की जानकारी अच्छी लगी होगी.