Piles treatment in hindi : बवासीर का आयुवेदिक घरेलु उपचार

Piles treatment in Hindi : Bawasir गुदा के अंतिम भाग पर मस्से के फूल जाने के कारण होने वाला रोग है जिसमे मल त्याग करते समय काफी परेशानी होती है। बवासीर (piles) दो प्रकार का होता है। वातार्श जिसमे सिर्फ मल द्वार के मस्से फूल जाते है और मल त्याग करते समय बहुत ही परेशानी होती है और दूसरा रक्तार्श जिसे खुनी बवासीर भी कहते है। इसमें मल का त्याग करते समय रक्त भी गिरता है। खुनी बवासीर में मल त्याग के समय किसी किसी को दर्द होता है और किसी किसी को नहीं भी।

piles treatment in hindi
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बवासीर का कारण : Causes Of Piles Hindi

बवासीर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण कब्ज है। जब तक कब्ज दूर नहीं तब तक रोग जड़ से नहीं ख़त्म होगा। अतः सर्वप्रथम कब्ज को मिटाना ही अनिवार्य है। कब्ज के ख़तम होते ही बवासीर अपने आप शांत हो जाएगा। कब्ज के प्रमुख कारण निम्न प्रकार से है।

  • अधिक मिर्च मसाले वाला भोजन करना. फ़ास्ट फ़ूड के अधिक सेवन के कारण।
  • एक ही स्थान पर अधिक देर बैठे रहने से।
  • मादक पदार्थों का अधिक सेवन करने से।
  • पानी कम मात्रा में पीने से।
  • मल को अधिक देर तक रोकने के कारण।

बवासीर के लक्षण : Piles symptoms in hindi 

  • बवासीर के प्रमुख लक्षणों में कब्ज का होना।
  • पेट में गैस का बनाना, अजीर्ण, एसिडिटी होना।
  • बैठने में दिक्कत होना व मल त्याग के समय गुदा स्थान पर पीड़ा होना इत्यादि piles के मुख्य लक्षण है।
  • यदि मल त्याग करते समय रक्त का स्राव होता है तो यह खुनी बवासीर की श्रेणी में आता है।
  • यदि इसका उचित समय पर इलाज न किया गया तो रोगी को अनीमिया की शिकायत भी हो सकती है।

बवासीर में परहेज :

खट्टा, अधिक मिर्च मसाले वाला भोजन, उड़द, बैंगन, तला भुना, फ़ास्ट फ़ूड, मादक पदार्थ और मांस मछली इत्यादि का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।  कुल मिलाकार ऐसे पदार्थो का सेवन कतई नहीं करना चाहिए जो जठराग्नि यानि कि पाचन क्रिया को प्रभावित करते है।

बवासीर में क्या खाए :

पुराने चावलों की भांति मूंग चने की दाल, बथुआ, सौंफ, करेला, परवल, जिमीकंद, सरसों का तेल, गुड़, मट्ठा, मूली, कच्चा पपीता, केले का फूल, मक्खन, मिश्री, किशमिश, अंगूर, पका बेल, आंवला, कैथा, सेंध नमक और दही इत्यादि का भरपूर सेवन करना चाहिये।

Piles treatment in hindi : बवासीर का आयुवेदिक घरेलु उपचार

निम्बू में पाया जाने वाला साइट्रिक एसिड कब्ज और बवासीर रोग में बहुत ही फायदेमंद होता है। निम्बू के साथ दूध का प्रयोग बवासीर रोग को जड़ से ख़त्म कर देता है। जैसा की मैंने अपको पहले ही बताया कि बवासीर का प्रमुख कारण कब्ज होता है इसलिए इस रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए कब्ज पर प्रहार करते है। तो आइये जानते है कैसे निम्बू और दूध बवासीर रोग को जड़ से समाप्त कर सकता है और इसकी प्रयोग विधि क्या है ?

इस को प्रतिदिन एक से डेढ़ सप्ताह तक करना होगा। अपको एक निम्बू के दो तुकडे करने होंगे और एक टुकड़े के रस को एक ग्लास में पूरी तरह से निचोड़ लें। उसके बाद एक ग्लास ताजा दूध इस निम्बू के रस में मिला ले और इस दूध को तुरंत ही पी जाए क्यूंकि निम्बू का रस दूध को फाड़ देता है, इसलिए आपको निम्बू के रस को पहले ही एक ग्लास में निचोड़ लेना है और एक ग्लास दूध इस रस में मिलाना है, ध्यान रहे अपको दूध के फटने से पहले ही इसको पी जाना होगा। दूध ताजा होना चाहिए यदि उबला हुआ है तो पूरी तरह ठंडा हो जाने दे उसके बाद ही निम्बू के रस में दूध मिलाये। निम्बू में मौजूद साइट्रिक एसिड मल को ढीला करता है और मल त्यागने की क्रिया को ठीक करता है जबकि दूध दस्तावर होता है और यह भी मल त्याग की क्रिया को ठीक करता है।

बवासीर का आयुवेदिक घरेलु उपचार : Ayurvedic Home treatment of Piles

  • दो दो ग्राम हरड़ का चूर्ण को 50 ग्राम गुड़ के साथ सुबह शाम खाने से बवासीर में लाभ मिलता है।
  • सुबह खली पेट निम्बोली के 5 बीज (नीम का फल) को मिश्री के साथ 1 महीने तक खाने से खुनी बवासीर 1 महीने में जड़ से ख़तम हो जाता है।
  • 50 ग्राम सुखा आंवला, 50 ग्राम हरड़, 50 ग्राम बहेड़ा में 25 ग्राम पंचसकार चूर्ण मिला ले इस तैयार चूर्ण को दिन में तीन बार लेने से पेट की कब्ज ख़तम हो जाती है और बवासीर रोग जड़ से मिट जाता है।
  • नागकेशर 1 भाग और तीन भाग तेजपत्र मिला कर चूर्ण बना ले 3-3 ग्राम की मात्र में दिन में दो बार सेवन करे बवासीर में लाभ मिलेगा।
  • मुनक्का, वंशलोचन, कलमिशोरा, कालानमक और हरड़ सामान मात्रा में मिला कर चूर्ण बना ले और दिन में तीन बार सेवन करे बवासीर में लाभ मिलेगा।
  • मट्ठे में कालानमक मिला ले और दिन में दो बार अवश्य सेवन करे।
  • पपीते का सेवन करते रहे ये पेट के लिए बहुत ही लाभदायक है और बवासीर जैसे रोग में पपीते का सेवन करने से बवासीर रोग जल्द से जल्द ख़तम हो जाता है।
  • पका हुआ जिमीकंद 16 भाग, भांग आठ भाग, बड़ी इलायची 4 भाग लेकर महीन पीस कर चूर्ण बना ले इस चूर्ण में कुल मात्र का दो गुना गुड मिला कर 10-10 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार खाने से बवासीर 1 महीने में जड़ से समाप्त हो जाता है।
  • नारियल की जाता को जलाकर राख बना ले और 1 चम्मच राख में सामान मात्रा में मिश्री मिला कर लेने से 2 सप्ताह में बवासीर रोग में अभूतपूर्व लाभ मिलता है।

बवासीर के मस्सों के लिए दवा

50 ग्राम अंडी के तेल में 10 ग्राम कपूर और 5 ग्राम शोधित फिटकरी को मिलकर तेल बना लें। इस तैयार तेल से मस्सों पर हलके हाथों से मालिश करे इससे मस्सों की जलन और खुजली कम हो जाती है और धीरे धीरे मस्से सूखने लगते है।

Bawaseer Ka ilaj baba ramdev in hindi :

Bawasir और बवासीर के मस्सों के इलाज के लिए यदि आप बाबा रामदेव की मेडिसिन प्रयोग करना चाहते है तो आप पतंजलि स्टोर से दिव्य अर्श कल्प वटी ले सकते है जिसकी १-2 गोली दिन में दो बार मट्ठे के साथ पिए बवासीर रोग में आराम मिलेगा।

Piles treatment in hindi में दिए गए आहार और परहेज को अपनाये साथ ही जो भी नुख्सा आपको आसानी से उपलब्ध हो उस नुख्से को लगातार 1 महीने तक करे बवासीर रोग जड़ से मिट जायेगा। किसी भी प्रकार की जल्दबाजी में न पड़े जैसे कोई आपसे बोलता है कि बवासीर 1 सप्ताह में ठीक कर दूंगा, तो मैंने आपको ऊपर ही बताया की बवासीर का प्रमुख कारण कब्ज है, जब तक कब्ज ख़तम नहीं होगा बवासीर जड़ से ख़तम नहीं होगा। इसलिए कम से कम १ महीने तक लगातार उपचार जारी रखे और किसी भी प्रकार की समस्या के लिए आप किसी वैद्य या डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

आशा करता हूँ अपको Piles treatment in hindi में बताये गए उपचार से आपको शीघ्र से शीघ्र लाभ होगा। दोस्तों यह रोग बहुत की कष्टदायक होता है, कई लोग इस रोग के आरम्भ होने की अवस्था में छिपाने का प्रयास करते है, यदि आपको इस रोग के आरंभिक लक्षण दिखाई दें तो रोग को छिपाए नहीं उसका उपचार कराये।

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कुलदीप मनोहर Kyahai.net हिंदी ब्लॉग के Founder हैं. मै एक Professional Blogger हूँ और SEO, Technology, Internet से जुड़े विषयों में रुचि रखता हूँ. अगर आपको ब्लॉगिंग या Internet जुड़ी कुछ जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है. हमारा यह मकसद है के इस ब्लॉग पे आपको अच्छी से अच्छी जानकारी मिले.

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